THE ULTIMATE GUIDE TO हिंदी कहानियां

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hindi kahaniya

महात्मा जी ने शांत भाव से फरमाया- तुम दोनों ही इस भूमि को अपना कहते हो और अपने अपने पक्ष में दलीले देते हो.

एक दिन उनकें मन में विचार आया, उनहोंने सोचा कि क्यों न वे अपने शिष्यों में ही योग्य वर की तलाश करें.

कुरज की विनती सुनकर ग्वाले को दया आ गईं, उसने खेत के मालिक से कहा- छांटकर एक अच्छी सी गाय लेलो और इस कुरज को छोड़ दो. पर खेत का मालिक अत्यंत लोभी था.

उनकी बात सुनकर प्रजापति मुस्कराएं. मन ही मन सोचने लगे ”किसे बड़ा बताऊँ” देवताओं को या दानवों को ?

वहां जाकर बोले- मान्यवर ! हम दोनों ही आपकी सन्तान हैं बताइए कि हम दोनों में बुद्धि में बड़ा कौन हैं. 

एक लोमड़ी बहुत भूखी थी वह भोजन की खोज में इधर -उधर भटकने लगी वह एक बागमें जा पहुची.

आप यहाँ तो अपना स्वप्न हमे बता दीजिए अथवा दंड भुगतने के लिए तैयार हो जाइए.

महामंत्री गाँव के सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार के पास गया और उसे वह पत्थर देते हुए बोला, “महाराज मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं.

उनके वंश का नाश कर डालूगा. खरगोश ने विनयपूर्वक सिर झुककर कहा- क्षमा करे स्वामी, आप व्यर्थ क्रोध कर रहे हैं, इसमे न मेरा अपराध हैं, न अन्य पशुओ का.

उनकी पत्नी जानती थी कि द्वारकाधीश श्रीकृष्ण उनके मित्र हैं. बहुत आग्रह करके उसने सुदामा को उनके पास भेजा,

संत महात्मा तो स्वभाव से ही दयालु एवंम परोपकारी होते हैं. सदैव सबका ही भला चाहते हैं.

कि उसकी माँ ने यह देख लिया और उसे समझाने लगी. उमा तुम यह क्या कर रही हो, कोई काम कर रहा हो तो उसकी मदद करनी चाहिए, इंसान होकर हमें जीव जन्तुओं को कष्ट पहुचाने की बजाय उनकी मदद करनी चाहिए.

जब बेटी ने पूछा कि माँ यह अन्य पक्षियों की तुलना में इतना सुंदर घौसला कैसे बनाती है तो माँ ने कहा- यह अपनी पूरी सिद्धत से इस काम में लगी हैं तथा पूर्ण मेहनत और निष्ठां के साथ अपना कार्य करती हैं.

प्रजापति की बात सुनकर दोनों परेशान हुए, एक दूसरे का मुह ताकने लगे. समस्या यह थी कि खाएं तो कैसे खाएं?

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